उत्तराखण्डराजनीति

हरीश रावत और प्रीतम सिंह के मिलन से गरमाई देवभूमि की सियासत

देहरादून : उत्तराखण्ड में सांसें ले रही कांग्रेस की सियासत अचानक करवट लेने लगी। कारण ये है कि उत्तराखण्ड कांग्रेस में दिग्गज नेताओं के बीच बनी खाई पटने का सिलसिला तेज होता दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से मिलने उनके यमुना कालोनी स्थित आवास पहुंचे। पार्टी के दोनों क्षत्रपों की मुलाकात की सियासी अंकगणित निकाली जा रही है। दोनों नेताओं ने एकदूसरे के साथ काफी देर तक बातचीत की साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस के सामने चुनौतियों का कांग्रेस एकजुट होकर सामना करेगी।



जैसा कि आपको मालूम है कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं इतना ही नहीं इसी साल आठ महीने बाद नगर निकाय चुनाव भी होंगे। प्रदेश में हिचकोले खा रही कांग्रेस अपना पुराना हार का इतिहास दोहराना नहीं चाहती है। इसे को ध्यान में रखकर प्रदेश के प्रथम पंक्ति के नेताओं के वयवहार में भी बदलाव के आसार बनने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पूर्व नेता प्रतिपक्ष व चकराता से छठी बार विधायक प्रीतम सिंह से मिलने के लिए अचानक उनके आवास पर पहुंचने से सियासी गलियारे में चर्चा का बाजार गर्म है। दोनों नेताओं के दरम्यान लंबे अर्से से से तलवारें खिंची हुई हैं। आपको खद होगा कि पिछले विधानसभा चुनाव से सिर्फ नौ महीने पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से प्रीतम और हरीश रावत के बीच खाई बन गई थी जिसके चलते दोनों एकदूसरे के आमने-सामने आ गए थे। प्रीतम सिंह को पार्टी ने नेता प्रतिपक्ष का पद थमाया था।



चुनाव से पहले जहां हरीश रावत चेहरा घोषित करने पर जोर देते रहे तो प्रीतम सिंह इसके विरोध में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडऩे के प्रबल पैरोकार रहे थे। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने जब गाज गिराई तो उसकी जद में प्रीतम सिंह भी आए थे। नेता प्रतिपक्ष पद पर उनके दावे को पार्टी ने दरकिनार कर दिया। इस उपेक्षा से दुःखी प्रीतम सिंह और हरीश रावत के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा।अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी क्षत्रप राजनीतिक परिस्थितियों को सामान्य बनाने पर बल दे रहे हैं। माना जा रहा है कि हरीश रावत हरिद्वार संसदीय सीट से अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। पिछला लोकसभा चुनाव रावत ने नैनीताल संसदीय सीट से लड़ा था।



रावत हरिद्वार से सांसद तो रहे ही केंद्र की यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री और फिर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने में भी सफल रहे। रावत और प्रीतम सिंह का भरत मिलाप इस तरफ भी इशारा कर रहा है कि प्रीतम सिंह की हरिद्वार के बड़े नेताओं में अच्छी पैठ मानी जाती है। इसी के साथ हरिद्वार सीट के अंतर्गत देहरादून जिले की तीन विधानसभा सीटों पर भी प्रीतम का रुख सहयोगी हरीश रावत के लिए फायदेमंद हो सकता है। दोनों नेताओं की मुलाकात को इस नजर से भी देखा जा रहा है। इस मुलाकात के बाद प्रीतम सिंह ने कहा कि हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं उनसे मुलाकात के दौरान पार्टी को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई। कमोबेश इसी तरह की टिप्पणी हरीश रावत ने भी की है उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने लक्ष्य को पाने के लिए मजबूत इरादे के साथ आगे बढ़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *