दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के मेवात से एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है, जो वीडियो कॉल से लोगों को अपने जाल में फंसाता था। इसके बाद नकली पुलिस अधिकारी बनकर उन्हें धमकाकर ब्लैकमेलिंग शुरू करता था। पुलिस का कहना है कि एक लड़की लोगों को वीडियो कॉल करती थी। जैसे ही कोई कॉल रिसीव करता था, तो लड़की अश्लील हरकत करने लगती थी। फिर स्क्रीनशॉट लेकर ब्लैकमेलिंग शुरू होती थी।
जानकारी के अनुसार, 12 मार्च को शाहदरा में एक 27 साल के शख्स ने शिकायत कर कहा था कि उसके मोबाइल पर वॉट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसमें एक लड़की अश्लील हरकत करने लगी। शिकायतकर्ता के मुताबिक, इस अनजान कॉल के कुछ देर बाद ही धमकी भरे फोन आने लगे।
कोई खुद को दिल्ली का आईपीएस अधिकारी बताकर अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कह रहा था। पैसे न देने पर लड़की के साथ का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी। इस कॉल के बाद शिकायतकर्ता डर गया, और उसने अकाउंट में दो लाख एक हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए।
इस शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने सबसे पहले एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की। जांच में पुलिस ने उस नंबर की डिटेल निकाली, जिससे वीडियो कॉल किया गया था। इसके बाद पुलिस ने उस नंबर की डिटेल निकाली। जब पुलिस को बैंक अकाउंट के डिटेल मिली तो राजस्थान के भरतपुर के एक युवक की पहचान हुई। पुलिस ने वहां से वसीम नाम के युवक को गिरफ्तार कर लिया।पुलिस ने वसीम के पास से तीन मोबाइल और 4 सिम कार्ड बरामद की। ये चीजें उसने ठगी में इस्तेमाल की थीं। पुलिस आरोपी के बैंक अकाउंट को खंगाल रही है।
उसके मोबाइल की सीडीआर की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने अब तक कितने लोगों के साथ ठगी की है।पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि उसके गैंग के लोग लोगों को वीडियो कॉल करते थे और एक बार जब फोन उठ जाता था तो दूसरे फोन से अश्लील हरकत कर रही किसी लड़की का वीडियो चला देते थे। इस तरह से सामने वाले को लगता था कि वो लड़की से कॉल पर जुड़ा है। इसके बाद वीडियो कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग कर लेते थे। इसी रिकॉर्डिंग को दिखाकर ब्लैकमेल किया जाता था।
जांच में पता चला है कि आरोपी मोबाइल और सिम पश्चिम बंगाल से खरीदते थे। ये लोग दूसरे गैंग मेंबर्स की मदद से फ्रॉड बैंक अकाउंट का जुगाड़ करते हैं, जिसमें ठगी और ब्लैकमेलिंग से कमाई रकम को ट्रांसफर करते थे। ये लोग पीड़ित को गलत पते पर लिए गए फोन नंबरों से कॉल करते थे और खुद को कभी एसएचओ साइबर सेल विक्रम राठौर बताते थे, तो कभी संजय यूट्यूबर बताते थे। पैसे न देने पर रिकॉर्डेड वीडियो को सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देते थे।शाहदरा के डीसीपी रोहित मीणा के मुताबिक, शाहदरा साइबर सेल ने साल 2023 के शुरुआती 3 महीनों में ही ऐसे आरोपियों को मेवात से गिरफ्तार किया है, जो सेक्सटॉर्शन में लिप्त थे।
पुलिस के मुताबिक, गैंग के लोग यूट्यूब, कस्टमर केयर का जाली प्रोफाइल पिक्चर अपने वॉट्सएप अकाउंट पर लगाते थे, ताकि सामने वाला डर जाए और उसे लगे कि उनसे बात करने वाला कोई ठग नहीं, बल्कि कोई अधिकारी है। पुलिस के मुताबिक, वसीम ने अब तक कई लोगों को अपने सेक्सटॉर्शन रैकेट का शिकार बनाया है।सेकेंड हैंड गाड़ियों की खरीद फरोख्त का फ्रॉड या सेक्सटॉर्शन के साथ ही मेवाती गैंग साइबर ठगी में बेहद शातिर है। मेवात के इन साइबर ठगों के निशाने पर दिल्ली समेत पूरा एनसीआर रहता है। साइबर ठगी के कई मामलों में जांच के बाद मेवाती गैंग का नाम आया है। दिल्ली पुलिस मेवाती गैंग के खिलाफ अक्सर कार्रवाई करती है, लेकिन इन पर पूरी तरह से काबू नहीं हो पा रहा है।
सेक्सटॉर्शन असल में दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘सेक्स’ और ‘एक्सटॉर्शन’। ये एक तरह का साइबर अपराध है, जिसका शिकार कोई भी बन सकता है।सेक्सटॉर्शन एक तरह का ब्लैकमेल है, जिसमें साइबर अपराधी इंटरनेट के जरिए लोगों को कॉल कर अश्लील बातें करते हैं और उन्हें अपने झांसे में फंसा लेते हैं।इसके बाद अपराधी लोगों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो बना लेते हैं और फिर उन्हें उनके परिवार को भेजने या सार्वजनिक करने की धमकी देकर पैसे ऐंठते हैं।
शुरुआत में जब कोई व्यक्ति सेक्सटॉर्शन का शिकार होता है तो वो बदनामी के डर से अपराधियों को पैसे दे देता है। लेकिन कई बार अपराधियों की मांग बढ़ती जाती है और व्यक्ति लूटता जाता है।
लिहाजा, ऐसे फंस जाने पर घबराने की बजाय इसका सामना करना चाहिए। ऑनलाइन भी शिकायत कर सकते हैं। पुलिस थाने में जाकर भी इसकी शिकायत की जा सकती है।
क्या केस दर्ज करा सकते हैं?
आईपीसी के तहत।।। आईपीसी की धारा 383, 384 और 385 के तहत केस दर्ज करवा सकते हैं। धारा 383 में ‘एक्सटॉर्शन’ की परिभाषा बताती है। इसके मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को डरा-धमकाकर उससे जबरन वसूली करना या ऐसी कोशिश करना एक्सटॉर्शन कहलाएगा।
धारा 384 और 385 में इसके लिए सजा है। धारा 384 के तहत, अगर कोई व्यक्ति किसी से एक्सटॉर्शन करता है तो उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।
इसी तरह धारा 385 के तहत, अगर कोई किसी व्यक्ति को एक्सटॉर्शन न देने पर उसे नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है तो दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
इसके अलावा ब्लैकमेलर के खिलाफ मानहानि (धारा 499, 500) और आपराधिक धमकी (धारा 503, 506, 507) के तहत भी मामला दर्ज करवाया जा सकता है। इसके तहत दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।आईटी एक्ट के तहत।।। अगर कोई आपको आपकी निजी तस्वीरें वायरल करने या पब्लिक करने की धमकी देता है तो इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 की धारा 66E, 67 और 67A के तहत केस दर्ज करवा सकते हैं।
Sources:AajTak