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साफ्टवेयर से साइबर ठगों की कुंडली खंगाल रही STF

देहरादून। उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स अब साइबर ठगों की कुंडली भी खंगाल रही है, वह भी फ‍िल्‍मी स्‍टाइल में। जिससे आपराधिक इतिहास जुटाकर उन पर उसी अनुरूप शिकंजा कसा जा सके।

इसमें मददगार बना है तेलंगाना पुलिस का साफ्टवेयर, जिसका नाम है साइबर क्राइम एनालिसिस एंड प्रोफाइलिंग सिस्टम। ऐसा आपने अक्‍सर फ‍िल्‍मों में देखा होगा। इस साफ्टवेयर से एसटीएफ अब तक साइबर ठगों के 220 मोबाइल नंबरों की जांच कर चुकी है।

आमतौर पर साइबर ठग एक मोबाइल नंबर से किसी राज्य में कुछ लोगों को ही शिकार बनाते हैं। इसके बाद वह दूसरे नंबर का इस्तेमाल करने लगते हैं। जब ये किसी राज्य या जिले में पकड़े जाते हैं तो वहां की पुलिस को अन्य राज्यों में किए उनके अपराधों की जानकारी नहीं होती। इससे साइबर ठगों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती।

ऐसे में वह जल्द ही जेल से छूट जाते हैं और फिर से ठगी में लिप्त हो जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर तेलंगाना पुलिस ने साइबर ठगों का आपराधिक इतिहास इकट्ठा करने के लिए साफ्टवेयर बनाया।

उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ को भी इससे खूब मदद मिल रही है। हाल ही में एसटीएफ ने दिल्ली से साइबर ठग वसीम अकरम को पकड़ा था। वसीम के पास मिले मोबाइल नंबरों की जब इस साफ्टवेयर में जांच की गई तो पता चला कि उसके विरुद्ध देशभर में 2800 से अधिक शिकायतें आई हैं और विभिन्न थानों में 180 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।

इसके बाद एसटीएफ ने वसीम के बारे में संबंधित राज्यों को भी जानकारी दे दी, जिससे वहां उसके विरुद्ध कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो सके। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि राज्य के सभी जिलों में भी पुलिस को इस साफ्टवेयर का एक्सेस दिया गया है, जिससे वह साइबर ठगों की कुंडली खंगाल सकें।

तेलंगाना पुलिस के इस साफ्टवेयर में साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों का रिकार्ड रखा जाता है। इस जानकारी को लगातार अपडेट भी किया जाता है। ऐसे में साइबर ठगी का मामला सामने आने पर उसमें इस्तेमाल मोबाइल नंबर को साफ्टवेयर में डालने से उसके जरिये किए गए सभी अपराधों की डिटेल सामने आ जाती है।

जब कोई अपराधी पकड़ा जाता है तो उसके विरुद्ध दर्ज शिकायतों और मुकदमों की जानकारी संबंधित राज्यों को भी भेज दी जाती है, जिससे वह भी आरोपित के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर सकें।


जब किसी साइबर ठग को पकड़ा जाता है तो उसके मोबाइल नंबर को तेलंगाना पुलिस के साफ्टवेयर के माध्यम से चेक किया जाता है। इससे पता चल जाता है कि उस नंबर का इस्तेमाल कितने अपराधों में हुआ। यही प्रक्रिया साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों के साथ भी अमल में लाई जाती है।

-आयुष अग्रवाल, एसएसपी एसटीएफ

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