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केजरीवाल को अभी कुछ दिन और रहना पड़ेगा सलाखों के पीछे

­दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिल पाई है। केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अभी फैसला नहीं दिया है। केजरीवाल के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब अगली सुनवाई गुरुवार या अगले हफ्ते होगी।

इससे पहले जब आज सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई शुरू हुई तो इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच द्वारा की जा रहीं टिप्पणियों को देखकर यह आसार नजर आ रहे थे कि केजरीवाल को जमानत मिल जाएगी और फैसला आज ही आ जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

चुनाव के चलते केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का विचार

दरअसल, केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जहां 3 मई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर इस मामले में सुनवाई लंबी चलेगी तो हम चुनाव के चलते केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अरविंद केजरीवाल की अंतिम जमानत पर इसलिए विचार कर रहे हैं क्योंकि चुनाव है। अगर चुनाव ना होता तो हम इस पर विचार नहीं करते।

वहीं आज की सुनवाई के दौरान जब ईडी ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई का विरोध किया तो जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईडी की दलीलों को सुनते हुए अपनी टिप्पणी रखीं।

जस्टिस खन्ना ने कहा कि, यह एक असाधारण स्थिति है कि चुनाव चल रहा है और दिल्ली का एक चुना हुआ मुख्यमंत्री जेल में है। हम केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई करेगें। क्योंकि यह सामान्य मामला नहीं है। अरविंद केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं। उनके खिलाफ कोई और केस नहीं है। हम ऐसे असाधारण मामलों में पहले भी जमानत पर सुनवाई करते रहे हैं और जमानत देते रहे हैं।

इधर, ईडी की तरफ से पेश SG तुषार मेहता ने अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमाना दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल के साथ आम आदमी जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए। मेहता ने कहा कि, केजरीवाल के लिए चुनाव में प्रचार करना क्या ज्यादा जरूरी है? ऐसे तो देश की जेल में 5000 नेता बंद होंगे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। कोर्ट को इसपर विचार नहीं करना चाहिए। केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना, सही नहीं होगा। इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी दलील दी कि दिल्ली के सीएम एकमात्र ऐसे सीएम हैं जिनके पास कोई पोर्टफोलियो नहीं है। वह किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते। यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री भी फाइलों पर हस्ताक्षर करते हैं और इसमें मंत्रालय भी शामिल हैं।

इधर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल की इन दलीलों से असहमति जताई और कहा राष्ट्रीय चुनाव हार 5 साल में आते हैं, यह कोई फसल नहीं है जो हर 6 महीने में बोई जाती हो। हमें यह भी देखना होगा कि ये समय वापस नहीं आएगा। यह मामला बिल्कुल अलग है।

इस बीच बेंच ने यह स्पष्ट किया कि, अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाती है तो इस दौरान केजरीवाल सीएम की आधिकारिक जिम्मेदारियां नहीं निभाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के वकील से कहा कि केजरीवाल को जमानत चुनाव के चलते दिये जाने की बात है। उनके एक सीएम होने के चलते नहीं। क्योंकि ऐसा होने पर इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी पर केजरीवाल के वकील ने कहा कि हम हलफनामा पर लिखित में देने के लिए तैयार हैं कि केजरीवाल सीएम ऑफिस का कोई काम नहीं करेंगे। वह किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। लेकिन एलजी की तरफ से ज़ोर न दिया जाए।

ED ने कहा- हमें सबूतों की चिंता

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जब ईडी से पूछा कि जब 2 साल से शराब घोटाले की जांच चल रही थी तो चुनाव के नजदीक ही केजरीवाल को क्योइन गिरफ्तार किया गया? क्या जांच इतनी देरी से यह पता लगा पाई केजरीवाल इसमें शामिल हैं? अगर ऐसा है तो यह अच्छी बात नहीं है।

इसके बाद ईडी ने कोर्ट को बताया कि जब आबकारी नीति से जुड़े घोटाले की जांच शुरू हुई थी तब शुरुआती चरण में अरविंद केजरीवाल पर फोकस नहीं था और ईडी उन पर गौर नहीं कर रही थी, लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो उनकी भूमिका स्पष्ट हो गई। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है। हमें राजनीति की चिंता नहीं है, हमें सबूतों की चिंता है और हमारे पास सबूत हैं। इसी बीच ED ने शिकायत की है कि संजय सिंह अपनी जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं।

 

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