प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले 2025 में शाही स्नान की तारीखें ये रहीं:
14 जनवरी, 2025 – मकर संक्रांति
29 जनवरी, 2025 – मौनी अमावस्या
3 फ़रवरी, 2025 – बसंत पंचमी
12 फ़रवरी, 2025 – माघी पूर्णिमा
26 फ़रवरी, 2025 – महाशिवरात्रि
प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ मेला 13 जनवरी, 2025 से शुरू होकर 26 फ़रवरी, 2025 तक चलेगा. इस साल महाकुंभ के पहले दिन सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है.
कुंभ मेले से जुड़ी कुछ और खास बातेंः
कुंभ मेला हर तीन साल में लगता है, जबकि अर्ध कुंभ मेला हर छह साल में लगता है.
कुंभ मेला प्रयागराज के अलावा, नासिक, हरिद्वार, और उज्जैन में भी लगता है.
कुंभ मेले की तारीखें, ग्रह और राशियों की स्थिति के आधार पर तय की जाती हैं.
कुंभ मेले में अखाड़ों के बीच टकराव से बचने के लिए हर अखाड़े के लिए एक निश्चित कार्यक्रम तय किया जाता है
महाकुंभ की पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, जब एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ, तो इस दौरान मंथन से निकले सभी रत्नों को आपस में बांटने का फैसला हुआ। सभी रत्न को राक्षसों और देवताओं ने आपसी सहमति से बांट लिए, लेकिन इस दौरान निकले अमृत के लिए दोनों पक्षों के बीच युद्ध छिड़ गया।
ऐसे में असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अमृत का पात्र अपने वाहन गरुड़ को दे दिया। असुरों ने जब देखा कि अमृत गरुड़ से पास है, तो वह इसे छीनने का प्रयास करने लगे। इस छीना-झपटी में अमृत की कुछ बूंदें धरती की चार जगहों पर यानी प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी। जहां-जहां यह बूंदे गिरी थी आज वहीं पर 12 सालों के अंतराल में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
इसलिए 12 साल में होता है आयोजित
समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत पाने को लेकर 12 दिनों तक लड़ाई चली थी। वही शास्त्रों के अनुसार, देवताओं के बारह दिन मनुष्य के बारह वर्षों के समान होते हैं। इसलिए महापर्व कुंभ प्रत्येक स्थल पर बाहर वर्ष बाद लगता है। वहीं 12 साल में कुंभ लगने का एक कारण बृहस्पति ग्रह की गति को भी माना जाता है, जो इस प्रकार है –
जब बृहस्पति ग्रह, वृषभ राशि में हों और इस दौरान सूर्य देव मकर राशि में आते हैं, तो कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है।
इसी तरह जब बृहस्पति, कुंभ राशि में हों और इस दौरान सूर्य देव मेष राशि में आते हैं, तो कुंभ आयोजन हरिद्वार में होता है।
सूर्य और बृहस्पति जब सिंह राशि में हों तब महाकुंभ मेला नासिक में लगता है।
जब देवगुरु बृहस्पति सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में हों, तो कुंभ का मेला उज्जैन लगता है