
11 अप्रैल 2025, का दिन शिवालिक एकेडमी के इतिहास में गौरव और उपलब्धियों से भरा एक विशेष अवसर है। इस वर्ष संस्थान ने अपने 33 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे किए। इन तीन दशकों से भी अधिक समय में शिवालिक एकेडमी ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता की मिसाल कायम की है और हजारों विद्यार्थियों को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर किया है।
विद्यालय का स्थापना दिवस बड़े ही उत्साह, श्रद्धा और गरिमा के साथ मनाया गया। यह विशेष अवसर विद्यालय के गौरवशाली इतिहास, मूल्यों और उस नींव को स्मरण करने का था, जिस पर यह संस्था खड़ी है।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की दो वरिष्ठ शिक्षिकाओं, श्रीमती मीनू और श्रीमती रूचि के प्रेरणादायक अनुभवों से हुई। अपने 25 वर्षों की शिक्षण यात्रा को साझा करते हुए उन्होंने न केवल यादों के झरोखों से सभी को जोड़ा, बल्कि शिवालिक एकेडमी के प्रति अपने अटूट समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव को भी भावपूर्ण शब्दों में व्यक्त किया। उनकी बातें सभी श्रोताओं के दिलों को छू गईं।
इसके पश्चात शिक्षिका श्रीमती गुंजन पंत द्वारा प्रस्तुत की गई कविता ने सभी को भावनाओं के रस में डुबो दिया। उनकी पंक्तियों में न केवल संस्थापक के प्रति श्रद्धा थी, बल्कि एक शिक्षक के दृष्टिकोण से संस्था के विकास का प्रतिबिंब भी दिखा।
विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती ऋतु त्यागी ने शिवालिक एकेडमी की प्रेरणादायक यात्रा को साझा किया, जिसमें संस्था की शुरुआत से लेकर वर्तमान तक की प्रगति, उपलब्धियाँ और संघर्षों की झलक मिली। उनकी प्रस्तुति ने सभी को यह अनुभव कराया कि यह संस्था केवल एक विद्यालय नहीं, बल्कि एक जीवंत परंपरा और प्रेरणा का केंद्र है।
विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती रजनी त्यागी जी ने अपने विचारों के माध्यम से स्थापना दिवस के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों को बधाई दी तथा शिवालिक एकेडमी की निरंतर प्रगति में उनके योगदान की प्रशंसा की।
इस शुभ दिन पर विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय श्री कुंवर जीत सिंह त्यागी जी एवं श्रीमती सुरेश त्यागी जी को सादर नमन करते हुए उनके सपनों, आदर्शों और दूरदृष्टि को स्मरण किया गया। समस्त विद्यालय परिवार ने उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
यह आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संगम था – जहाँ स्मृतियाँ, प्रेरणा और संस्थागत संस्कृति एक साथ पल्लवित हुईं। संस्थापक दिवस ने सभी के हृदय में गर्व, ऊर्जा और नवीन उत्साह का संचार किया।