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आज अजमेर जैसे इंसान ना हो तो समाजसेवियों का नाम लेने वाला भी कोई नहीं होगा

कहते हैं नशा भी अनेकों प्रकार का होता है किसी को शराब के नशे की लत किसी को सिगरेट का नशा किसी को पान मसाले का नशा किसी को चाय का नशा किसी को प्यार का नशा किसी को देशभक्ति का नशा किसी को समाज सेवा का नशा आदि आदि ऐसा ही एक नशा अजमेर सिंह और उनकी धर्मपत्नी श्रीमति अंजू  मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले जिनका अब देहरादून सेलाकुई में अपना ट्रांसपोर्ट का काम है को भी है इन्हें समाज सेवा का नशा है गरीबों की सहायता करना धार्मिक आयोजन में बढ़-चढ़कर तन मन धन से अपना पूर्ण सहयोग देना अगस्त महा में कांवड़ यात्रा के दौरान इनके और उनके सहयोगियों के द्वारा तीन दिन तक भंडारे का आयोजन धूलकोट सेलाकुई मंदिर में किया गया अब सर्दी का सितम देखते हुए उन्होंने अपने निजी खाते से कई गरीबों को कंबल जैकेट जूते जुराब के साथ-साथ गरीब कन्याओं के विवाह हेतु 11000
से लेकर21000 रुपए तक उसे कन्या के विवाह के लिए भिजवाए जिसकी उन्हें सख्त जरूरत थी कन्या का विवाह के वक्त अगर सहयोग के तौर पर किसी से ₹500 भी मिलते हैं वह भी  उस पिता के लिए लाखों से काम नहीं होते तो जरा सोच कर देखो ₹21000 की रकम बोलने में भला ही छोटी लगे मगर बहुत बड़ी रकम होती है अगर आज अजमेर जैसे इंसान ना हो तो समाजसेवियों का नाम लेने वाला भी कोई नहीं होगा

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